राशि के कदम जल्दी जल्दी घर की तरफ बढे चले जा रहे थे| ऐसा नहीं था कि कोई डर है लेकिन वो पुरे रास्ते शर्माते हुए नहीं जाना चाहती थी| कॉलेज से लेकर आज तक कभी सुगम ने गले नहीं लगाया था, सिनेमा हॉल में भी नहीं लेकिन आज अपने दोस्त के सामने बिना किसी बात के उसको गले से लगाया | ये क्या हुआ!
कॉलेज में एक बार कॉफ़ी के लिए सुगम को कॉल किया था|
“सुगम, चलो कॉफ़ी पीकर आते हैं|”
“तुम जाओ मैं आता हूँ- सुगम ने जवाब दिया”
“अरे, मैं साथ चलने को बोल रही हूँ, अलग जाना होता तो फ़ोन नहीं करती|”
“तुम समझ नहीं रही हो, तुम जाओ मैं आता हूँ|”
“समझा दो फिर”
“दोस्तों के साथ हूँ| ”
“दोस्तों के सामने मुझसे मिलने में दिक्कत है? ऐसा बुरी तो मैं नहीं हूँ, तुम बताओ?”
“मुझे मिलने में दिक्कत नहीं लेकिन मुझे सबको नहीं बताना कि मैं तुमसे मिल रहा हूँ|”
“ऐसा क्यों?”
“क्यूंकि हमारी माँ कहती हैं कि लोग नज़र लगाते हैं|”
लेकिन, आज ऐसा क्या हुआ?
“राशि, कहाँ से आ रही?”, जगनारायण, बड़े चाचा दुवार (घर के बाहर का हिस्सा) पर बैठे थे| चांदी से चमकीले बाल और काले-सफ़ेद मूँछ,भरे गाल, पतली नाक और छह फ़ीट की ऊंचाई और फैशन के दीवाने, ऐसे थे जगनारायण।
“अरे, कही से नहीं, चाचा, वो तो हम गांव के छोर तक गए थे खेतों को देखने|”
“आवो बइठो, तनिक तुम्हारा हाल चाल सुन ले फिर जाने कब आओगी? कॉलेज की पढाई कब तक है?”
“बस अभी एक साल और बाकी है और उसके बाद बाहर जाने का एग्जाम होगा, चाचा|”
अभी बात पूरी भी नहीं हुई तब तक दरवाजे पर किसी ने आवाज लगाई| ‘बड़े बाबू हैं क्या?’
‘हाँ हैं, आते हैं’, जगनारायण ने जवाब दिया|
“जा तू अंदर जा, मैं बात करके आता हूँ|”
राशि घर के अंदर पैर रखे भी नहीं कि किसी के बिलखती आवाज़ आयी|
“बड़े मालिक, हम पइसा वापस कर देते लेकिन रामशरण ने बहुत मारा | अस्प्ताल में भर्ती करवा के आ रहे हैं बउवा को| ”
“रे गौरिया, कितना चोट आया है, ठीक है कि नहीं?, जगनारायण ने पूछा|
जगनारायण गांव का एक बड़ा नाम था| खुद के बच्चे नहीं थे इसीलिए पुरे गांव को अपना बच्चा बना कर रखा हुआ था| गांव के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे घरों में जगनारायण का नाम लिए बिना दिन नहीं गुजरता था|
‘हम अभी चल कर देखेंगे बउवा को उसके बाद रामशरण से बात करेंगे’, जगनारायण ने मोटरसाइकिल निकाला और गौरी को बैठने का इशारा किया|
राशि ने बाइक निकलते देखा| उसे पता था कि आज रात कुछ तो होगा ही। ये कही सुगम के गांव से तो नहीं थे, नहीं…उसके गांव से होते तो सुगम मिलने नहीं आता आज।